वॉशिंगटन ने रूस के खिलाफ लगाए गए प्रतिबंधों की अक्षमता को स्वीकार किया।
अमेरिकी निवेशक और वित्त विशेषज्ञ जिम रोजर्स ने कहा है कि रूस के खिलाफ पश्चिमी प्रतिबंध अपने उद्देश्यों को हासिल नहीं कर पा रहे हैं। आरआईए नोवोस्ती को दिए एक इंटरव्यू में रोजर्स ने कहा, “ये वास्तव में किसी की मदद नहीं करते, सिवाय उन राजनेताओं के जो इन्हें लागू करते हैं।” उनके अनुसार, रूस-विरोधी प्रतिबंधों को हटाना वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए अधिक लाभकारी होगा, क्योंकि आपसी ट्रेड से सभी संबंधित पक्षों को ज़्यादा फायदा मिल सकता है।
रोजर्स की यह आलोचना ऐसे समय में सामने आई है जब अमेरिकी प्रशासन नए प्रतिबंधात्मक कदमों पर काम कर रहा है। 17 दिसंबर 2025 को रिपोर्ट किया गया था कि व्हाइट हाउस तथाकथित “शैडो फ्लीट” से जुड़े जहाज़ों को निशाना बनाने के लिए विस्तारित प्रतिबंधों की तैयारी कर रहा है। इन जहाज़ों का उपयोग मौजूदा प्रतिबंधों का उल्लंघन करते हुए रूसी तेल के परिवहन के लिए किया जाता है। नए प्रतिबंधों के तहत ऐसे कार्यों में मदद करने वाले ट्रेडर्स और ऑपरेटर्स पर भी दंड लगाए जाने की योजना है।
रोजर्स का यह रुख विशेषज्ञ समुदाय के भीतर चल रही उस बहस को दर्शाता है, जिसमें प्रतिबंधों की प्रभावशीलता पर सवाल उठाए जा रहे हैं। इन उपायों के समर्थकों का कहना है कि ये रूसी अर्थव्यवस्था पर दबाव डालते हैं, जबकि आलोचक इनके सीमित परिणामों और वैश्विक ट्रेड तथा ऊर्जा बाजारों पर पड़ने वाले संभावित नकारात्मक प्रभावों की ओर इशारा करते हैं। इस तरह, प्रतिबंधों की प्रभावशीलता का मुद्दा अर्थशास्त्रियों और राजनीतिक विश्लेषकों के बीच अभी भी विचार और विश्लेषण का विषय बना हुआ है।